कालसर्प दोष

कालसर्प दोष

कुंडली में काल सर्प दोष की गणना करें

कालसर्प दोष तब होता है जब सभी 7 ग्रह (सूर्य, चंद्रमा, मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र और शनि) राहु और केतु के बीच में होते हैं। इस दोष की व्याख्या किसी भी प्राचीन ज्योतिष शास्त्र में नहीं की गई है लेकिन आज के अधिकांश ज्योतिष लोगों के जीवन पर इसका बुरा प्रभाव पाते हैं। जब लोगों की कुंडली में कुछ अच्छे योग मौजूद होते हैं तो यह दोष शून्य या काफी कम हो सकता है। जन्म कुंडली में राहु और केतु की स्थिति के आधार पर 12 विभिन्न प्रकार के कालसर्प दोष होते हैं। इन विभिन्न काल सर्प दोषो के नाम अनंत, कुलिक, वासुकी, शंखपाल, पद्म, महापद्म, तक्षक, कर्कोटक, शंखचूड़, घातक, विषधर और शेषनाग हैं।

जन्म विवरण

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